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लेखनी प्रतियोगिता -10-Jun-2023 एक नई भोर नया सवेरा


                   एक नई भोर नया सवेरा

         नन्दिनी अभी वाढ़ग्रस्त्र एरिया का सर्वे करके आई थी। वह बहुत थक गई थी। वह आज आफिस से जल्दी जाने की सोच रही थी। परन्तु आफिस में अपनी मेज पर फाइलौ का ढेर देखकर उसके घर जल्दी  जाने के इरादे पर पानी फिर गया।

         आज नन्दिनी को अपनी मम्मी को डाक्टर के दिखाना था और अनाथाश्रम जाकर  एक बच्चा भी गोद लेने जाना था।

       नन्दिनी इस शहर में नई ही आई थी वैसे भी उसकी नौकरी भी नई थी। वह मेज पर रखी फाइलौ को देखने लगी। उसी समय चपरासी एक चिट लेकर आया और बोला,"   मैडम  एक साहब बहुत देर से आपसे मिलने के लिज बैठे है। क्या उनको भिजवादूँ।"

     नन्दिनी ने चिट को बिना देखे ही कह दिया ," हाँ भेज दो। " और वह फिर फाइलौ में ब्यस्त होगयी।

       " क्या मैं अन्दर आसकता हूँ " बाहर से आवाज आई जिसे सुनकर नन्दिनी अवाक रह गयी क्यौकि यह आवाज  उसे जानी पहचानी सी लगी। 

        "यस कमिंग !" कहकर वह फिर फाइलौ को देखने लगी। लेकिन उसकी नजर दरवाजे पर थी। उसका अन्दाज सच हुआ क्यौकि जो युवक आन्दर आया वह विशाल ही था। 

     विशाल को देखकर  वह कुछ बोलती उससे फहले विशाल बोला,"  नन्दिनी तुम यहाँ?

   "हाँ मै ही हूँ मि विशाल!  ! क्या काम है? तुम इस समय एक कलट्टर के आफिस में हो। काम की बात करो।फालतू बातौ के लिए समय नहीं है। जल्दी बोलो मेरे पा स समय नहीं है।" नन्दिनी ने रूखेपन से  कहा।

    " मैडम ! आपके आफिस में मेरी एक लौन की फाइल आई है मै  उसकी जानकारी करने आया हूँ।",   विशाल ने भी उसी तरह पूछा।

   "ठीक है मै देख लूँगी अभी मुझे बहुत काम है। कल आकर अपनी फाइल लेजाना।" इतना कहकर नन्दिनी ने अपनी नजरे फिर फाइलौ के ढेर में लगा दी।

     विशाल भी क्या खरता? वह चुपचाप आफिस के बाहर चला गया। उसे बहुत अफसोस हुआ कि नन्दिनी ने उसे बैठने तक के लिए नहीं कहा।

       नन्दिनी ने भी विशाल के जाने के  बाद एक पानी पिया और वह कालेज के दिनौ के विषय में सोचने लगी।

      जब नन्दिनी के पापा इस शहर में  आये थे और नन्दिनी पहली बार कालेज गयी तब उसने कालेज में विशाल के चर्चे बहुत सुने थे कालेज की हर लड़की उसकी दीवानी थी। विशाल निर्बिरोध अध्यक्ष चुना जाता था। सभी छात्र उसकी इज्जत करते थे।

     परन्तु नन्दिनी ने उसकी तरफ कभी भी आँख उठाकर भी नहीं देखा था। एक साल बीत गया। कालेज मे वार्षिक प्रोग्राम था नन्दिनी ने भी एक गाना गाया था।  उस गाने को सुनकर विशाल उसका फैन होगया और विशाल ने ही उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढाया। नन्दिनी  उसको ना नही कर सकी।

   नन्दिनी व विशाल की दोस्ती बढती ही गयी।और वह एख दूसरे से प्यार करने लगे। एक बार विशाल ने झूंठ बोलकर नन्दिनी को अपने घर बुलाया कि वह उसे  अपने मम्मी पापा से मिलाना चाहता है। जब नन्दिनी वहाँ पहुँची तब उसे मालूम हुआ कि विशाल के  मम्मी पापा तो शादी में गये है। वहाँ केवल विशाल ही है। दो नौकर और थे।

        नन्दिनी उसकी चालाकी भांप गयी और सतर्क होगयी। जैसा नन्दिनी ने सोचा बैसा ही हुआ। विशाल ने पेय पदार्थ में कुछ मिलाकर नन्दिनी को पिलाना चाहा लेकिन नन्दिनी ने वह नहीं पिया और नन्दिनी वहाँसे किसी तरह बाहर आगयी। उसने विशाल के मन्सूबौ पर पानी फेर दिया।

     उस दिन के बाद उसने विशाल से दोस्ती तोब़कर दूरी बनाली। जबकि विशाल ने उससे अपनी भूल की मांफी भी मांगी और उसके पास सन्देश भी भेजा। लेकिन नन्दिनी नेउससे हमेशा के लिए दोस्ती तोड़ना ही ठीक समझा ।  वह पढ़ने हेतु दिल्ली चलीगयी। वहाँ रहकर उसने सिविल सर्विसेज की परीक्षा की कोचिंग ली और वह सफल भी हुई ।इसी का परिणाम था कि आज वह कलक्टर बनगयी। नन्दिनी ने आज तक शादी नहीं की।

     नन्दिनी के कलक्टर बनने के बाद बहुत रिश्ते आये  लेकिन वह यह कहकर अपने मम्मी पापा को समझा देती कि मै एक बच्चा अनाथाश्रम से गोद लेलूँगी और उसे बडा़ आदमी बनाऊँगी लेकिन शादी नहीं करूँगी।

       नन्दिनी का एक मन सोचने लगा कि विशाल ने शादी की अथवा वह भी क्वारा है। ँलेकिन दूसरा मन बोला तू क्यौ उसके लिए  पागलौ की तरह  सोच रही है। तू उसके चंगुल से कैसे बच सकी थी। इन पुरुषौ पर भरोसा करना ही नहीं चाहिए। मुझे विशाल से दूर रहना ही ठीक है। इसका काम करके इसका आफिस में आनाजाना बन्द करवाना होगा। उसकी फाइल पूरी करके भिजवाकर उससे  दूरी बनानी होगी।

       नन्दिनी ने सबसे पहले विशाल की फाइल चैक करके उसे पास करके आफिस में भिजवा दिया जिससे वह उससे मिलने न आजाये।नन्दिनी दफ्तर से घर गयी और पापा मम्मी के साथ अनाथाश्रम गयी ःऔर वहाँ से सुन्दर से बेटी गोद लेकर घर बापिस आगयी।

    अब नन्दिनी ने शादी न करने का अटल फैसला कर लिया अब उसकी जिन्दगी के अंधेरे छट गये और उसके जीवन में एक बेटी आजाने से एख नयी भोर का आगमन होगया था।

            उसने बेटी का नाम पीहू करवा दिया और  पीहू को एक माँ का साया मिलगया। इस तरह पीहू व नन्दिनी दोनों के जीवन में एक नयी भंर का आगमन होगया।़ 


आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "

   




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11 Comments

अदिति झा

27-Jun-2023 08:54 PM

Nice 👍🏼

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Alka jain

27-Jun-2023 07:51 PM

Nice

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Shnaya

27-Jun-2023 06:46 PM

Nice one

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